अष्टाङ्ग योग एक सम्पूर्ण जीवन शैली

यह सत्य है कि, योग से संपूर्ण स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है ।किंतु योग केवल कोई चिकित्सा पद्धति नहीं है, बल्कि योगदर्शन छः आस्तिक दर्शन का एक भाग है।

“दृश्यते अनेन इति दर्शनम”

अर्थात जो शास्त्र, जीवन को यथार्थ रूप से देखने और समझने की वास्तविक दृष्टि प्रदान करता है, उसे ‘दर्शन’ कहते हैं । योग दर्शन का मुख्य उपपाद्य विषय, मुख्य रूप से उन प्रक्रियाओं को उल्लेखित और प्रकाशित करना है, जिनके उपयोग करने से, आधीभौतिक व आध्यात्मिक के भेद का सही ज्ञान प्राप्त हो सके।

योग दर्शन के प्रवर्तक महर्षि पतंजलि है। योग शब्द ‘यूज समाधो’ धातु से निर्मित है इसका अर्थ हे ‘समाधि’। ‘यूजीर योगे’ धातु से भी योग शब्द निष्पन्न होता है इसका अर्थ है ‘जुड़ना’ अर्थात जीवात्मा का परमात्मा से मिल जाना।

अलग अलग मनीषियों ने योग को अलग रूपो में परिभाषित किया है। यथा-

1 महर्षि पतंजलि के अनुसार-

‘योगश्चित्त वृत्ति निरोधः’

अर्थात चित्त की वृत्तियों को निरुद्ध करना ही योग है।

2 उपनिषद के अनुसार-

‘तां योगमिति मन्यन्ते स्थिरामिन्द्रीय धारणाम’

अर्थात योग वही है जहाँ स्थिर रूप से साधक के वश में हो जाती है।

3 श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं-

‘योगः कर्मसु कौशलम’

अर्थात सभी कर्मो को कुशलता पूर्वक करना योग है।

4 भगवान श्री कृष्ण ने ही ‘समत्वं योगम उच्यते ‘भी कहा है अर्थात सुख-दुःख, लाभ-हानि, मान-अपमान इत्यादि किसी भी स्थिति में सदैव सम भाव मे स्थित होना भी योग है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि योग एक वृहद विषय है, पूरे जीवन का विज्ञान है, जीवन को कुशलता पूर्वक सद्कर्म द्वारा दीर्घायु,हितायु और सुखायु प्राप्त करने का साधन है, मोक्षमार्ग द्वारा परमात्मा को प्राप्त करने का एक सुविकसित दर्शन है, न कि केवल कुछ क्रियाओं द्वारा शारीरिक स्वास्थ्य और शौष्ठव प्राप्त करने की कोई वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति।

योग के ऐसे वृहद लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए योग के कुल आठ अंग होते हैं। इन योगांगो का अभ्यास करते हुए चित्तवृत्तियों का निरोध पूर्वक असम्प्रज्ञात समाधि भूमिका में पहुंचकर अपने चैतन्य स्वरूप या ब्रम्ह स्वरूप में स्थिर हो जाना ही योग है।

योग के निम्न आठ अंग है, जिन्हें हम अब एक एक करते विस्तार से समझेंगे-

1 यम :- यम अर्थात जिसके अनुष्ठान से मन व इन्द्रियां गलत कर्मों से हटकर सही कर्मों में सलंग्न हो जाये । यम के पाँच प्रकार होते।

(1) अहिंसा :- मन वचन व कर्म से हिंसा करना, दूसरा किसी दूसरे व्यक्ति से करवाना, तीसरा हिंसा के लिए दूसरे को उकसाना इन तीनो प्रकार कि हिंसा से बचना, मन में भी किसी का अहित न सोचना, किसी को कडवा न बोलना, न करना ।

(2) सत्य:- मन तथा वाणी में शुद्ध भाव का होना और उसी के अनुरूप कार्य करना सत्य है । किसी के जीवन कि रक्षा के लिए झूठ बोलना भी सत्य है, सर्वहितकारी वाणी सत्य है तथा सत्य व्यक्ति का आभूषण है।

(3) अस्तेय :- अस्तेय का अर्थ है चोरी न करना । जो अपनी नही ऐसी वास्तु जो दूसरे कि हो उस पर अपना अधिकार जमाना, छीन लेना या मन में ही ग्रहण करने कि लालसा यह भी चोरी है ।

(4) ब्रह्मचर्य :- शाश्त्रो में आठ प्रकार के मैथुन बताएं है, अशुभ का दर्शन, स्पर्शन, भोग विलास युक्त स्थान पर एकांत सेवन, भाषण, विषय कथा, परस्पर क्रीडा, विषय का ध्यान तथा संग इनका त्याग करना स्थूल रूप में ब्रम्हचर्य है। सूक्ष्मता से कहें तो अपनी इंद्रियों व मन को विषयों से, वासनाओ॓ से, रागद्वेष से हटाकर परमात्मा में लगाने का नाम है ब्रह्मचर्य, साथ ही खान-पान, दृश्य, श्रवण, श्रृंगार, संसार व्यव्हार दर्शन, स्पर्शन आदि में संयम पूर्वक रहना भी ब्रह्मचर्य है । अब्रम्हचारी शक्तिहीन, आजहीन और निस्तेज हो जाता है।

(5) अपरिग्रह :- अपरिग्रह का अर्थ है आवश्यकता से अधिक सामग्री इकट्ठी न करना । जो कुछ भी परमात्मा ने हमे दिया है वायु जल धन-धान्यादि उसपर सबका समान अधिकार मनाते हुए जरूरत के अनुरूप संग्रह करना अपरिग्रह है, इसके विपरीत परिग्रह है । परमात्मा ने जो, हमे दिया है, उसमे संतुष्ट रहना चाहिए तथा दान सहयोग से जरूरतमंद कि मदद करना भी अनिवार्य है ।

२.नियम:- शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय तथा ईश्वर-प्रणिधान ये पाँच नियम है । नियम अष्टांग योग का दूसरा आधारभूत विशेष अंग है ।

(1) शौच :- शारीरिक व मानसिक शुद्धि को शौच कहते है षट्कर्म से शरीर कि भीतरी सफाई, ध्यान से ब्रह्म शुद्धि तथा ध्यान से मन बुद्धि व आत्मशुद्धि संभव है ।

(2) संतोष :- पुरुषार्थ, निष्काम कर्म अथवा आसक्ति रहित कर्म करके जो कुछ प्रतिफल मिले उससे संतोष है । भगवान श्री कृष्णा ने गीता में कहा है आसक्ति छोड़कर योग में स्थित होकर कर्म की सिद्धि (सफलता) या असिद्धि (असफलता) को सामान मानकर अपना कर्म कर । कर्म के सिद्ध होने या असिद्ध होने, दोनों ही अवस्थाओं में एक सामान रहने वाली समत्वबुद्धि का नाम ही योग है ।

(3) तप :- जीवन में जो भी बाधाएँ विघ्न कष्ट व संकट आये, राग-द्वेष रहित होकर सावधानी से आत्मभाव में स्थिर होकर उनको स्वीकार करना तथा अपने ध्येय (लक्ष्य) कि और निरंतर बढ़ते रहना तप है ।

(4) स्वाध्याय :- वेद , शास्त्र, दर्शन, उपनिषद् गीता, संतो के उपदेश, भजन आदि जो कुछ भी पढने योग्य हो अच्छा हो उसका अध्ययन श्रवण, मनन व चिन्तन करना स्वाध्याय है ।

(5) ईश्वर प्रणिधान :- पूर्णतया अनासक्त, नि:स्पृह कर्मफल कि इच्छा से रहित, योगस्थ होकर समर्पित भाव से कर्म करना, अपने हर कार्य को ईश्वर को समर्पित करके करना,ईश्वर में आस्था रखना तथा नियमित रूप से पूजन इत्यादि भक्तिभाव का अभ्यास ही ईश्वर प्रणिधान है ।

3 आसन:- महर्षि पतञ्जलि के अनुसार, “स्थिरसुखमासनम्”

अर्थात सुखपूर्वक स्थिरता से बैठने को आसन कहते है। या, जो स्थिर भी हो और सुखदायक अर्थात आरामदायक भी हो, वह आसन है। आसन वह जो आसानी से किए जा सकें तथा हमारे जीवन शैली में विशेष लाभदायक प्रभाव डाले।

अष्टाङ्ग योग में आसन तृतीय स्थान पर है,जबकि आचार्य गोरक्षनाथादिजी द्वारा प्रवर्तित षडंगयोग में आसन का स्थान प्रथम है। प्राचीन ऋषियों ने संसार मे जीवो की चौरासी लाख योनियां बताई है और इन्ही के आधार पर चौरासी लाख आसन भी बताए हैं, फिर इनमें से प्रतिनिधि स्वरूप चौरासी आसनों को प्रमुख माना है।

आसनों को नियमित रूप से करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति, शरीर के अंगों की दृढ़ता, प्राणायामादि उत्तरवर्ती साधनक्रमों में सहायता, चित्तस्थिरता, शारीरिक एवं मानसिक सुख की प्राप्ति इत्यादि लाभ निश्चित रूप से प्राप्त होते है। महर्षि पंतजलि ने मनकी स्थिरता और सुख को लक्षणों के रूप में माना है। प्रयत्नशैथिल्य और परमात्मा में मन लगाने से इसकी सिद्धि बतलाई गई है। इसके सिद्ध होने पर द्वंद्वों का प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ता।

4 प्राणायाम:-

महर्षि पतंजलि के अनुसार-

“तस्मिन सति श्वासप्रश्वासयोर्गतिविच्छेद:प्राणायाम॥”

अर्थात आसन की सिद्धि हो जाने के बाद श्वास प्रश्वास की गति में विच्छेद लाना प्राणायाम है।

प्राणायाम शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है ‘प्राण+आयाम’ (प्राणस्य आयामः इति प्राणायामः) प्राणायाम प्राण अर्थात् साँस आयाम याने दो साँसो मे दूरी बढ़ाना, श्‍वास और नि:श्‍वास की गति को नियंत्रण कर रोकने व निकालने की क्रिया को कहा जाता है।

प्राणायाम के मुख्यतः तीन अंग होते है-

(1) पूरक- श्वास को अंदर लेना।

(2) रेचक- श्वास को बाहर छोड़ना।

(3)कुम्भक- श्वास को रोककर रखना।

कुम्भक भी दो प्रकार का होता है-

(A) अन्तः कुम्भक- श्वास को अंदर खींचकर रोकना।

(B) बाह्य कुम्भक- श्वास को छोड़कर रोकना।

प्राणायाम के प्रकार:-

घेरन्ड संहिता के अनुसार प्राणायाम के आठ भेद बताए गए हैं – सहित, सूर्यभेदी, उज्जायी, शीतली, भस्त्रिका, भ्रामरी, मूर्च्छा और केवली ।

हठप्रदीपिका के अनुसार प्राणायाम के आठ भेद निम्न हैं – सूर्यभेदन, उज्जायी, सीत्कारी, शीतली, भस्त्रिका, भ्रामरी, मूर्च्छा और प्लाविनी ये आठ प्रकार के प्राणायाम होते हैं ।

प्राणायाम के लिए आसन:-

सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन किसी भी आसन में बैठें, मगर जिसमें आप अधिक देर बैठ सकते हैं, उसी आसन में बैठें।

5 प्रत्याहार:-

प्रत्याहार अष्टाङ्ग योग का पांचवा अंग है, जिसका तातपर्य है इंद्रियों को अंतर्मुखी करके उनके संबंधित विषयों से विमुख करना। प्रत्याहार का सामान्य कार्य होता है, इन्द्रियों का संयम, दूसरे अर्थ में प्रत्याहार का अर्थ है पीछे हटना, उल्टा होना, विषयों से विमुख होना। इसमें इन्द्रियाॅं अपने वहिर्मुख विषयों से अलग होकर अन्तर्मुख हो जाती है। इसलिये इसे प्रत्याहार कहते है।

महर्षि पतंजलि के अनुसार-

“स्वविषयासम्प्रयोगे चित्तस्य स्वरूपानुकार इवेन्न्यिांणा प्रत्याहार”

अर्थात् अपने विषयों के साथ इन्द्रियों का संबन्ध न होने पर चित्त के स्वरूप में तदाकार होना प्रत्याहार है। पतंजलि कहते है। प्रत्याहार से इन्द्रियाॅं एकदम वशीभूत हो जाती है।

प्रत्याहार दो शब्दों ‘प्रति’ और ‘आहार’ से मिलकर बना है। ‘प्रति’ का अर्थ है विपरीत अर्थात इन्द्रियों के जो अपने विषय हैं उनको उनके विषय या आहार के विपरीत कर देना प्रत्याहार है। इंद्रियां विषयों के वशीभूत होती है , चक्षु रूप को, जिव्हा रस को, नासा गन्ध को, कर्ण शब्द को ओर त्वचा स्पर्श को ग्रहण करती है। चेतना ज्ञान प्राप्त करना चाहती हैं और चित्त उसका माध्यम बनता है। किंतु जब इंद्रियां विषय लोलुप हो जाती है तो, विषय अधिक होने पर चित्त उसमें भटक जाता है और तब ज्ञान के स्थान पर अधोगति होने लगती है । इसके विपरीत जब इंद्रियाँ विषयों को छोड़कर विपरीत दिशा में मुड़ती हैं तो प्रत्याहार होता है। अर्थात इंद्रियों की बहिर्मुखता का अंतर्मुख होना ही प्रत्याहार है। योग के उच्च अंगों के लिए अर्थात धारणा, ध्यान तथा समाधि के लिए प्रत्याहार का होना आवश्यक है।

6 धारणा:-

धारणा अष्टाङ्ग योग का छठा भाग है। धारणा शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत के ‘धृ’ धातु से हुई है जिसका अर्थ होता है- आधार, नींव।’’ धारणा अर्थात ध्यान की नींव, ध्यान की आधारशिला। धारणा मन की एकाग्रता है, एक बिन्दु, एक वस्तु या एक स्थान पर मन की सजगता को अविचल बनाए रखने की क्षमता है। ‘‘योग में धारणा का अर्थ होता है मन को किसी एक बिन्दु पर लगाए रखना, टिकाए रखना। किसी एक बिन्दु पर मन को लगाए रखना ही धारणा है। मन (चित्त) को एक विशेष स्थान पर स्थिर करने का नाम धारणा है। यह वस्तुतः मन की स्थिरता का घोतक है। हमारे सामान्य दैनिक जीवन में विविध प्रकार के विचारों का प्रवाह चलता रहता है, दीर्घकाल तक स्थिर रूप से वे नहीं टिक पाते और मन को अस्थिर करते है इसके विपरित धारणा में सम्पूर्ण चित्त की एकाग्रता रहती है।

महर्षिे पतंजलि के अनुसार-

“देशबन्धश्चितस्य धारणा”

किसी भी एक स्थान (बाहर या शरीर के भीतर) चिन्त को बाॅंधना, धारणा कहलाता है। धारणा एक मानसिक प्रक्रिया है, चित्त को एक लक्ष्य विशेष में बांध देना वहाॅं रोकना या टिका देना धारणा कहलाता है।

7 ध्यान:-

ध्यान शब्द की व्युत्पत्ति ‘ध्यैयित्तायाम्’धातु से हुई है। इसका तात्पर्य है चिंतन करना। लेकिन यहाँ ध्यान का अर्थ चित्त को एकाग्र करना उसे एक लक्ष्य पर स्थिर करना है। चित्त की एकाग्रता को ध्यान कहते हैं। चित्त को एकाग्र करके किसी ओर लगाने की क्रिया ध्यान है। यह योग के आठ अंगों में से सातवां अंग है जो समाधि से पूर्व की अवस्था है। मन को लगाते हुए जब साधक मन को ध्येय के विषय पर स्थिर कर लेता है तो उसे ध्यान कहते हैं।

महर्षि पतंजलि के अनुसार-

“तत्र प्रत्यदैक तानता ध्यानम् ”

ध्यान से आत्म साक्षात्कार होता है। ध्यान को मुक्ति का द्वार कहा जाता है। ध्यान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसकी आवश्यकता हमें लौकिक जीवन में भी है और पारलौकिक जीवन में भी। ध्यान को सभी दर्शनों, धर्मों व संप्रदायों में श्रेष्ठ माना गया है।

8 समाधि :-

ध्यान में चित्त की जो एकरूपता हुईं थी वो बढ़ते बढ़ते जब इतनी अधिक हो जाए कि तत्व मात्र ही शेष बचे, अन्य सभी विषय यहां तक कि अपना स्वरूप भी खो जाए, इस स्थिति को समाधि कहते हैं। ध्यान की उच्च अवस्था को समाधि कहते हैं। जब ध्याता, ध्येय वस्तु के ध्यान मे पूरी तरह से डूब जाता है और उसे अपने अस्तित्व का ज्ञान नहीं रहता है तो उसे समाधि कहा जाता है। पतंजलि के योगसूत्र में समाधि को आठवाँ (अन्तिम) अवस्था बताया गया है।

समाधि के बाद प्रज्ञा का उदय होता है और यही योग का अंतिम लक्ष्य है।

इस स्तर पर ध्याता, ध्यान से ध्येय विषय में मिलकर लय हो जाता है तब उस वृत्ति निरोध की अंतिम अवस्था को समाधि कहते हैं |

डॉ दिनेश कर्मा

आर्युवेद एवं पंचकर्म विशेषज्ञ

धार मध्यप्रदेश

9926599661

This Post Has 50 Comments

  1. Code of your destiny

    I am really impressed together with your writing talents as smartly as with the layout to your weblog. Is this a paid topic or did you modify it your self? Either way keep up the nice quality writing, it’s uncommon to see a nice weblog like this one nowadays!

  2. Brynn827

    Partner with us and earn recurring commissions—join the affiliate program! https://shorturl.fm/sP7Gm

  3. geely-kuntsevo-882

    Geely Кунцево https://geely-kuntsevo.ru официальный дилер автомобилей Geely в Москве. Продажа новых моделей, тест-драйвы, выгодные условия покупки, кредит и трейд-ин. Сервисное обслуживание, оригинальные запчасти и консультации специалистов.

  4. zapisnapriemrostov-591

    Портал о медицине https://zapisnapriemrostov.ru и здоровье человека. Заболевания и их профилактика, современные методы лечения, рекомендации специалистов, здоровье взрослых и детей. Полезные материалы для заботы о самочувствии каждый день.

  5. software-expert-871

    Информационный портал https://software-expert.ru о секретах ПО. Скрытые возможности программ, настройки, оптимизация, безопасность и обновления. Практичные советы и разборы для повседневного и профессионального использования.

  6. med-omsk-545

    Мед-Омск: https://med-omsk.ru Многопрофильный медицинский центр в Омске. Широкий спектр диагностических и лечебных услуг для всей семьи.

  7. cgbkam-467

    Камышинская ЦГБ: https://cgbkam.ru Центральная городская больница Камышина. Полный комплекс стационарной и амбулаторной помощи, диагностика и профилактика заболеваний.

  8. crbbaunt-179

    Баунтовская ЦРБ: https://crbbaunt.ru Официальный сайт районной больницы в Бурятии. Доступная медицинская помощь и актуальная информация для пациентов региона.

  9. antares-med-939

    Антарес-МЕД: https://antares-med.ru Центр пластической хирургии и косметологии в Санкт-Петербурге. Эстетическая медицина, коррекция фигуры и программы омоложения.

  10. stomatic-spb-687

    Стоматик СПб: https://stomatic-spb.ru Семейная стоматология в Санкт-Петербурге. Профессиональное лечение зубов, включая услуги для детей и лечение под наркозом.

  11. albakaluga-862

    Стоматология в Калуге https://albakaluga.ru Альбадент — имплантация и протезирование зубов с гарантией эстетики. Виниры, костная пластика и реставрация улыбки по индивидуальному плану лечения.

  12. sportprof 332

    Российский завод реализует силовые тренажеры по бюджетным ценам с быстрой доставкой. Портфолио содержит грифы, блины, велотренажеры. Доступны к заказу многофункциональные силовые тренажеры и средства для реализации профессиональных задач. Оформляйте прямо сейчас станок Смита, блочную тягу, скамью Скотта, тренажер для плечей, тренажер для жима ногами, римский стул, гиперэкстензию, а также другое оборудование.

  13. unitalm-980

    Центр охраны труда https://www.unitalm.ru “Юнитал-М” проводит обучение по охране труда более чем по 350-ти программам, в том числе по электробезопасности и пожарной безопасности. А также оказывает услуги освидетельствования и испытаний оборудования и аутсорсинга охраны труда.

  14. zaklepka-vytyazhnaya-219

    Нужны заклепки? заклепки нержавеющие вытяжные 4.8 мм для прочного соединения листового металла и профиля. Стойкость к коррозии, аккуратная головка, надежная фиксация даже при вибрациях. Подбор размеров и типа борта, быстрая отгрузка и доставка.

  15. evakuator-spb-341

    Нужен эвакуатор? услуги эвакуатора в спб цена быстрый выезд по Санкт-Петербургу и области. Аккуратно погрузим легковое авто, кроссовер, мотоцикл. Перевозка после ДТП и поломок, помощь с запуском/колесом. Прозрачная цена, без навязываний.

  16. casinos-883

    Рейтинг казино https://casinos.autos онлайн 2025 для осознанного выбора: критерии безопасности, репутации, бонусной политики, выплат и сервиса. Таблицы по странам и форматам игр, реальные условия акций, плюсы/минусы, FAQ и ссылки на правила. 18+

  17. zaklepka-vytyazhnaya-181

    Нужны заклепки? заклепки вытяжные нержавеющие 4х8 для прочного соединения листового металла и профиля. Стойкость к коррозии, аккуратная головка, надежная фиксация даже при вибрациях. Подбор размеров и типа борта, быстрая отгрузка и доставка.

  18. evakuator-spb-964

    Нужен эвакуатор? эвакуатор спб быстрый выезд по Санкт-Петербургу и области. Аккуратно погрузим легковое авто, кроссовер, мотоцикл. Перевозка после ДТП и поломок, помощь с запуском/колесом. Прозрачная цена, без навязываний.

  19. zaklepka-vytyazhnaya-2

    Нужны заклепки? заклепка вытяжная нержавеющая для прочного соединения листового металла и профиля. Стойкость к коррозии, аккуратная головка, надежная фиксация даже при вибрациях. Подбор размеров и типа борта, быстрая отгрузка и доставка.

  20. zaklepka-vytyazhnaya-555

    Нужны заклепки? заклепка вытяжная нержавеющая 4х10 для прочного соединения листового металла и профиля. Стойкость к коррозии, аккуратная головка, надежная фиксация даже при вибрациях. Подбор размеров и типа борта, быстрая отгрузка и доставка.

  21. auto-160

    Авто в ОАЭ https://auto.ae/ под ключ: продажа новых и б/у автомобилей, диагностика перед покупкой, регистрация и страховка. Прокат на сутки и долгосрок, включая премиум. VIP номерные знаки — подбор вариантов, торг, оформление передачи и сопровождение на русском.

  22. auto-305

    Авто в ОАЭ https://auto.ae/sale/car/all/ под ключ: продажа новых и б/у автомобилей, диагностика перед покупкой, регистрация и страховка. Прокат на сутки и долгосрок, включая премиум. VIP номерные знаки — подбор вариантов, торг, оформление передачи и сопровождение на русском.

  23. skupix-81

    Продаешь антиквариат? Скупка антиквариата в Москве — выгодно продать старинные вещи оценка и выкуп старинных вещей с понятными условиями. Принимаем фарфор, бронзу, серебро, иконы, монеты, часы, книги, мебель и предметы искусства. Возможен выезд и оценка по фото. Оплата сразу, конфиденциальность.

  24. auto-106

    Авто в ОАЭ https://auto.ae/showrooms/all/ под ключ: продажа новых и б/у автомобилей, диагностика перед покупкой, регистрация и страховка. Прокат на сутки и долгосрок, включая премиум. VIP номерные знаки — подбор вариантов, торг, оформление передачи и сопровождение на русском.

Leave a Reply